1- रुख हवाओं का तुम बदल के दिखाओगे, दावा है तुम्हारा पर यह कर ना पाओगे| खुद चाह कर सितारे जमीं तक नहीं पहुँचते, कौन तोड़ लाया नाम कोई बताओगे|| 2- हँसते रहे हम मिला गुल या खार है, हम जी रहे हैं जिन्दगी पे ऐतबार है| बहार बन के आता है पतझड़ अब यहाँ, जिन्दगी का हमसे अब हुआ इकरार है|| 3- हैं इकट्ठे लोग सब जब तलक त्योहार है, वरना घर ये घर कहाँ बस एक बाजार है| खोजिए शायद मिले आप का सौभाग्य, वरना तो रिश्ता मात्र एक व्यवहार है|| 4- घर-घर की कहानी, गाते मिलेंगे सारे, गैर क्या अपनों के, भी ना हुए प्यारे| बदगुमानी बद्जुबानी, स्वार्थ की वजह से, पानी से बह गए, रिश्ते खून के हमारे||
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