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मुक्तक

एक विश्वास
एक विश्वास
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1-
रुख हवाओं का तुम बदल के दिखाओगे,
दावा है तुम्हारा पर यह कर ना पाओगे|
खुद चाह कर सितारे जमीं तक नहीं पहुँचते,
कौन तोड़ लाया नाम कोई बताओगे||
2-
हँसते रहे हम मिला गुल या खार है,
हम जी रहे हैं जिन्दगी पे ऐतबार है|
बहार बन के आता है पतझड़ अब यहाँ,
जिन्दगी का हमसे अब हुआ इकरार है||
3-
हैं इकट्ठे लोग सब जब तलक त्योहार है,
वरना घर ये घर कहाँ बस एक बाजार है|
खोजिए शायद मिले आप का सौभाग्य,
वरना तो रिश्ता मात्र एक व्यवहार है||
4-
घर-घर की कहानी, गाते मिलेंगे सारे,
गैर क्या अपनों के, भी ना हुए प्यारे|
बदगुमानी बद्जुबानी, स्वार्थ की वजह से,
पानी से बह गए, रिश्ते खून के हमारे||

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