एक विश्वास
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जो हो सके तो नाता, इस जिंदगी से जोड़ो,
अब मौत से मोहब्बत करने की बात छोड़ो।
गिले शिकवे बहुत हैं, हैं और अफसाने,
अब तो गमेदास्ताँ, खुशियों की ओर मोड़ो।
है चैन नहीं मिलता, कभी तन्हाई में दोस्तों,
वर्षों की दोस्ती को, यूँ झटके में ना तोड़ो।
नफरत के बीज बोने, की कीमत है चुकानी,
जालिमों सच का गला, कितना भी मरोड़ो।
निकले हैं हम तो लेकर, पैगाम मोहब्बत का,
कह दो ‘अशोक’ सबसे, दम तो अभी न तोड़ो।
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