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हिंदू आतंकवाद

एक विश्वास
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आज तक मैं पी चिदंबरम या दिग्विजय सिंह और राहुल गाँधी जैसों को उनके द्वारा हिंदू आतंकवाद का उच्चारण सुन कर आग बबूला हो जाया करता था परन्तु यह मेंरी नादानी थी। आज ओसामा की मौत के बाद आए बयानों ने मेरी धारणा बदल दी है और मुझे भी अब यकीन हो गया है कि भारत में हिन्दू आतंकवाद भी है और यह अपनी जड़ें भी जमा चुका है।
हिन्दू या भगवा आतंकवाद भारत के लिए वास्तव में सर्वाधिक खतरनाक होता जा रहा है। मैं क्यों कि इनको जनता की अदालत में कोई सजा नहीं मिल रही है और ये सब अनर्गल बयान बाजी से देश का माहौल बिगाड़ते ही चले जा रहे हैं। अतः मैं देश की जनता से यह प्रार्थना करता हूँ कि वो ऐसे नापाक पाक के साथियों को चुनाव में तो अवश्य ही सबक सिखाए।
कुछ लोगों को मेरी बात अभी कोरी बकवास लग रही होगी परन्तु जरा सोचें कि दिग्विजय सिंह का ये बयान कि ओसामा को धार्मिक रीति रिवाज से दफनाया जाना चाहिए था और उस दुर्दान्त आतंकी को जी कह कर सम्बोधित करना क्या दर्शाता है? जो व्यक्ति अपने विपक्षी समकक्षों को आदर नहीं देना पसन्द करता है वो आतंकवादियों के लिए इतना फिक्रमंद क्यों और कैसे हो सकता है? क्या भारत सरकार इनके और आतंकवादियों के बीच के किसी सम्भावित रिश्तों की तलाश करना पसन्द करेगी?
कहते हैं चोर चोर मौसेरे भाई होते हैं, तो इसको ऐसे भी तो कहा जा सकता है कि आतंकवादी ही आतंकवादी का हितैशी या शुभचिन्तक हो सकता है। ऐसा कहने से किसी को ना तो कोई गुरेज़ होना चाहिए और ना ही आपत्ति। वैसे हम भारतीय अंधविश्वासी तो होते ही हैं परन्तु अब हमें देश हित में अपनी यह आदत त्यागनी होगी और जब हम यह आदत छोड़ देंगे तो हमें दिग्विजय जी और चिदंबरम साहब आतंकवादियों के चहेते या उनके साथी भी नजर आने लगेंगे।
ये दोनों ही अपने को हिन्दुस्तानी मानते हैं अब इस लिहाज से तो ये हिन्दू ही हुए और चूँकि आतंकवादियों का साथी आतंकवादी होता है फिर अगर आतंकवादी हिन्दू हो तो, कहेंगे ना उसे हिन्दू आतंकवादी। अब कहिए क्या आप मेरी बात से सहमत हुए य नहीं। तो देश को हिन्दू आतंकवाद से बचाने के लिए कमर कस लीजिए और अपनी और आने वाली पीढ़ी की सुरक्षा का इंतज़ाम पुख़्ता कर लीजिए वरना पछ्ताना पड़े तो हमसे मत कहिएगा कि बताया नहीं।

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