Menu
blogid : 5061 postid : 77

हैरान हूँ (ग़ज़ल)

एक विश्वास
एक विश्वास
  • 149 Posts
  • 41 Comments

परेशान नहीं इससे, मैं हैरान हो जाता हूँ,

दुम उठाता हूँ जो भी, मादा ही पाता हूँ|


दोष है किसमत का या, कि है ये कुछ और,

जिधर भी जाता हूँ बस , मैं छ्ला ही जाता हूँ|


ना अपने काम आए, और ना ही ये पराए,

ऐ जिन्दगी फिर भी मैं , तुझसे तो निभाता हूँ|


मैं तुमसे करूँ शिकायत, तो किस बात की,

परवानों की तरह खुद को,  मैं क्यों जलाता हूँ|


इक रात को खिलते जो, मैं तो वो ही फूल हूँ,

धूल में मिल के मैं, जश्नेजिन्दगी मनाता हूँ|

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh