आज यूँ ही बैठा कुछ सोच रहा था, तो अचानक सोवियत रूसऔर सद्दाम के ईराक की उन घटनाओं पर ध्यान गया जबरूसियों ने कम्युनिस्ट राज से आजिज आकर लेनिन और सद्दामको हीरो मानने वाले ईराकियों ने सद्दाम की मूर्तियों को तोड़करजमींदोज कर दिया था।भारत में नेहरू परिवार का जो कारनामा देश देख और भोग रहा हैइससे कभी ना कभी सब को परेशानी होने लगेगी।
दरअसल हमभारतवासी सभ्यता के दिखावे के चक्कर में, अपना कितनानुक़सान कर लेते है यह हमें तब पता चलता है जब पानी सिर केऊपर से बहने लगता है। उसके पहले तो हमारा काम ही देखो औरइंतज़ार करो वाला होता है और हमारा यह कार्यक्रम हमें कितनीचोट पहुँचाता है इसका अनुमान भी हम चोट खाने के बाद हीलगाते हैं। कब छूटेगी हमारी यह आदत हमें इसका भी कोई भाननहीं है और शायद होगा भी नहीं क्यों कि हम ना तो अपना कोईचिन्तन रखते हैं और अपनी बदगुमानी के कारण दूसरे केचिन्तन को कोई महत्व देना अपनी तौहीन समझते हैं।
देश को घोटाले माननीय नेहरू जी के समय से ही झेलने पड़ रहेहैं, मगर उनके आभामण्डल के आगे लोगों ने उन घोटालों कोनजरअदाज किया और देश को उसका खामयाजा आज तकभोगना पड़ रहा है। रोज नए घोटाले हो रहे है और जनता त्रस्तमगर चुप है।हम भी देख रहे है कि ये कब तक चुप बैठेंगे कभी तोइनके खून में उबाल आएगा। आएगा एक दिन अवश्य, ये मेरादावा है। देर तो हमारे स्वभाव के कारण लग रही है, हमारी आदतजो है सहने और धैर्य की परीक्षा देने की।अब हमें शुभ संकेत मिलने शुरू हो गए हैं क्योंकि कुछ लोग हीसही मगर लोग उठ खड़े हुए है और आवाज बुलंद कर रहे हैं,भ्रष्टाचार के खिलाफ। अवाम भी उनसे जुड़ कर अपने कोगौरवान्वित महसूस कर रही है। यह संकेत है बदलाव का, शायदवैसे ही बदलाव का जिसका जिक्र मैंने ऊपर किया है।
आप भीआज नहींतो कल अवश्य मेरी बात से सहमत होंगे।आपको याद होगा जब BSP के कुछ कार्यकर्ता राजघाट पर गाँधीजी की समाधि को दूषित करने पहुँचे थे, आप क्या सोचते है किउस मानसिकता के लोग घटे है हरगिज नहीं ऐसे लोगों की संख्यामें इजाफा ही नहीं बल्कि बाढ़ सी आई है और यह सब लोग एकदिन वही करेंगे जिसकी चर्चा मैं पीछे कर आया हूँ।
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