हमारे देश में बहुत सी संस्थाएँ हैं जो विदेशों से मिलने वाले धन के उपयोग/दुरुपयोग से फल फूल रही हैं। इनमें हर तरह की संस्थाएँ शामिल हैं। ये धार्मिक, सामाजिक, सरकारी-गैरसरकारी हर तरह की हैं। आज उन गैर-सरकारी संस्थाओं पर जो विदेशी सहायता प्राप्त कर अपना कार्य करती हैं उनपर सवाल उठाए जा रहे हैं कि ये संस्थाएँ जिन देशों से आर्थिक सहायता प्राप्त करती हैं उनके इशारे पर ऐसे कार्यों को अंजाम देती हैं जो देश के विकास में बाधक सिद्ध होते हैं। ऐसी संस्थाओं से जवाबतलबी और उनकी निगरानी की बात हो रही है। यह जिस परिप्रेक्ष्य में बात हो रही है, निसंदेह एक अछी और सकारात्मक बात है और इस दिशा में उठने वाला हर कदम स्वागतयोग्य होगा। परन्तु क्या सिर्फ NGO’s को इस दायरे में लाने भर से काम हो जाएगा। हम सभी जनते हैं कि इस तरह के सर्वाधिक निकृष्ट कार्य तो वो संस्थाएं करती हैं जो धर्म के नाम पर पैसे पाती हैं या जो राजनैतिक पार्टियाँ विदेशों से आने वाले चंदे पर ऐश कर रही हैं। क्या कभी कोई इन पर भी लगाम लगाने की बात करेगा? शायद नहीं, क्योंकि सभी को इस पैसे का लाभ लेना है तो भला कैसे कोई अपने ऐशोआराम में ख़लल बरदाश्त करेगा। जब चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों को सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में लाने की बात की तो किसी ने भी इसपर चर्चा नहीं की न ही किसी ने कोई अभियान ही छेड़ा की आयोग की बात ठीक है और सभी इस बात को मानें। पारदर्शिता की बात करने वालों के मुंह पर भी ताले जड़े हुए हैं इस बात पर। हैं ना कमाल के राजनेता हमारे देश में? कभी केजरीवाल को खतरा मान कर जो इस तरह की बात कर भी रहे थे वो भी अब चुप हैं क्योंकि आज केजरी्वाल उनको खतरा नजर नहीं आ रहे हैं। उन्हें लगता है कि अब केजरीवल से निजात पा चुके हैं। यही है राजनीति हमारे मुल्क की। सोचिए कौन है जो राजनैतिक रोटियाँ नहीं सेंक रहा है? क्या वास्तव में कोई है जो अपने हितों के आगे देश हित को रखता हुआ दिखता है? सभी की अपनी महत्वाकांक्षायें हैं सभी के अपने स्वार्थ हैं। कोई जाति तो कोई धर्म की राजनीति में लगा है। विदेशी चंदे या सहायता की बात अगर करनी है तो हमें सभी संस्थाओं को इस संदर्भ में देखन होगा। सभी को निगरानी के दायरे में लाने की पहल करनी होगी। यह जरूरी हो कि ये संस्थाएं पैसे कहाँ से कैसे पाती हैं और क्या जिस काम के लिए पैसा आ रहा है वह खर्च भी वहीं हो रह है? इतना ही नहीं इनकी इस बात की भी निगरनी हो कि इनकी क्या गतिविधियाँ हैं? और यह सब उन सभी संस्थाओं पर लागू होना चाहिए जो विदेशों से पैसे पाती हैं, बिना किसी पक्षपात के।
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