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गजल

एक विश्वास
एक विश्वास
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वो कमज़ोर हैं जो दिल में खुदा रखते हैं।

हम वो हैं जो अपनी राह जुदा रखते हैं॥

मारे तो मारे हमको ठोकर ये जमाना।

हम कौन जमाने पे दिल फिदा रखते हैं॥

महबूब के दामन में जान निकल जाए।

अरमान ये सीने में यार सदा रखते हैं॥

हम तो परेशान हैं बस इसी एक गम में।

क्यों सीने में अपने प्यार वफा रखते हैं॥

वतन से पहले बात करते हैं मजहब की।

वो माँ से अपनी जो लोग जफा करते हैं॥

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