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गजल : जिंदगी से हम ……..

एक विश्वास
एक विश्वास
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जिंदगी से हम भी लड़ सकते हैं मगर।

बस अपने लिए जीने को कौन लड़ेगा॥

इक अंजाना सा डर है मौत से सब को।

इस बेवफा जिंदगी पे वरना कौन मरेगा॥

इतने भी इम्तिहान न लिया करो खुदा।

नहीं तो इम्तिहानों से कोई क्यों डरेगा॥

भौंकने की इजाज़त है मुल्क में इसलिए।

मुल्क की इज्ज़त भला कोई क्यों करेगा॥

पहचान जरूरी है यहाँ अच्छे और बुरे की।

वरना ये जमाना दगा तो हर बार करेगा।।

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