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मुसलमानों का नाजायज़ विरोध

एक विश्वास
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सर्वेच्च न्यायालय का यह सुझाव कि मंदिर विवाद दोनों पक्ष आपस में सुलझा लें मुसलमानों ने मानने से इनकार कर दिया है। जफरयाब गिलानी ने कहा कि राम का तो अस्तित्व ही नहीं था फिर आस्था कैसी? निश्चित तौर पर गिलानी की इस बात पर हर मुसलमान ताली पीट रहा होगा। जो मुसलमान राम के पाँच हजार साल पहले के अस्तित्व को नकार रहे हैं वो अपने आराध्य के मात्र डेढ़ हजार साल से भी कम समय के अस्तित्व का कोई प्रमाण दे दें क्योंकि यह तो आसान होना चाहिए परन्तु बात वही है कि सपने तो सपने ही होते हैं सपनो का प्रमाण नहीं होता।
राम मंदिर स्थल की खुदाई में बहुत सी ऐसी वस्तुएँ मिली हैं जो सैकड़ों हजारों वर्ष पीछे की कहानी कहती हैं। ये वस्तुएँ राम मंदिर का प्रमाण भी देती हैं। कोई किसी के घर में कब्जा कर ले तो जिसके घर पर कब्जा हुआ है वो अपना अधिकार जरूर ही माँगेगा भले सौ या हजार साल बाद माँगे क्योंकि वो तभी माँगेगा जब वह सक्षम हो जाएगा।
वैसे भी भारत में राम ही पैदा हुए थे न कि बाबर फिर बाबरी मस्जिद कैसे बन सकती है। निश्चित ही आततायी बाबर आया और हिजड़े और आपस में दुश्मनी रखने वाले हिंदू राजाओं को मार काट कर मंदिर की जगह मस्जिद बनवा गया। नमाज़ पढ़ने के लिए कुछ नपुंसक कायर हिंदुओं को मुसलमान बनाया उनकी औरतों को बलात्कार कर दोगली संतानें पैदा की और यह सब इतना किया कि यह संख्या काफी बढ़ गई। इनको पीढ़ी दर पीढ़ी गँवार बनाए रखा और डर भय से कट्टर बनाया। वही लोग है जो आज हमको सेकुलर देखना चाहते हैं परन्तु खुद बरबर बनकर हमें दबाना चाहते हैं। और जो कुछ अच्छे मुसलमान निकल जाते हैं उनको ये कट्टरपंथी मुसलमान तक नहीं मानते हैं। आज के दोगले हिंदू नेता ही आज की विषम परिस्थितियों के जिम्मेदार अधिक हैं।
सत्य यही है कि बात चाहे आस्था की की जाए या फिर साक्ष्यों की अयोध्या राम की नगरी थी है और रहेगी। वहां राम मंदिर था और होना चाहिए। शायद कुछ अच्छे लोगों की अच्छाई को मान्यता मिलेगी और मंदिर निर्माण होगा। कांग्रेस सपा बसपा जद (ए टू जेड) टीएमसी आदि के गंदगी के कीड़े जैसे लोग नाली की गंदगी और नहीं फैला पाएंगे। बदबू समाप्ति की ओर है।

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