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आखिर मोदी सरकार की मंशा क्या है? जो मोदी गैर जरूरी कानून समाप्त करने की बात करते थे वो तो जरूरी कानून समाप्त करते नजर आ रहे हैं और गैर जरूरी तो जैसे के तैसे बने ही हैं।
सरकार सूचना के अधिकार अधिनियम में बदलाव कर रही है। यह अधिनियम वैसे तो पहले से ही जन सामान्य के लिए बेकार था परन्तु परिवर्तन के बाद तो शायद खास लोगों के लिए भी यह बवालेजान बनने वाला है।
दो महत्वपूर्ण बदलावों में एक है कि सुनवाई के दौरान कोई भी अपना प्रार्थना पत्र वापस ले सकता है और दूसरा ये कि आवेदक की मृत्यु हो जाने पर सुनवाई समाप्त कर दी जाएगी अर्थात आगे नहीं बढ़ेगी।
यह दोनों ही प्रावधान इस नियम को पूर्णतः बेकार की वस्तु बना देंगे। क्योंकि इन प्रावधानों के दुष्परिणाम ये होंगे कि पहले तो आवेदक को डराया धमकाया जाएगा कि आवेदन वापस लो और यदि वो न माना तो फिर दबंग लोग अपने को बचाने के लिए आवेदक को ही किनारे कर देंगे।
अब ऐसे में कौन सूचना माँगने का साहस करेगा?
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